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गौरझामर। धांधली: शासकीय गोदाम में मनमानी कीमत पर बेचा जा रहा खाद

गौरझामर। धांधली: शासकीय गोदाम में मनमानी कीमत पर बेचा जा रहा खाद


फिंगर लगाने के बाद खाद की मात्रा की नहीं दी जा रही पर्ची

सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य से ज्यादा में बेचा जा रहा यूरिया 
गौरझामर

तमाम रिपोर्टों अनुसार किसान की स्तिथि कमजोर है, और हो भी क्यों ना क्योंकि प्रकृति की मार झेल रहा किसान जमकर धांधली का शिकार हो रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में किसान डीएपी खाद की उपलब्धता ना होने को लेकर चिंतित तो था ही लेकिन यूरिया की कालाबाजारी का शिकार हो रहा है, जहां शासकीय गोदाम में सरकार द्वारा तय रेट से अधिक दाम पर यूरिया खाद की बिक्री कर किसानों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है।  लेकिन कृषि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन इस मामले से अनजान हैं या यूं कहें कि शिकायतों का इंतजार कर रहा है। किसानों से खुलेआम हो रहे शोषण से हजारों किसान खुद को अकेला महसुस कर रहे है। रवि सीजन की बुवाई व फसल के लिए यूरिया खरीद रहे है। इसे देख विक्रेताओं ने मनमानी आरंभ कर दी है। मामला शासकीय खाद गोदाम गौरझामर से सामने आया है, जहा मजबूरन किसानों को तय कीमत से अधिक दाम  पर खाद खरीदनी पड़ रही है वही हैरानी की बात है किसानों को पीओएस मशीन से निकली खरीद पावती नहीं दी जा रही है जो कही ना कही बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रही है।सरकार ने यूरिया की 45 किलो की बोरी के दाम 266.50 पैसे निर्धारित किया गया है। लेकिन तय मूल्य से कहीं अधिक दामों पर किसानों को 275 रुपए में एक बोरी खाद उपलब्ध कराई गई है। ग्रामीण क्षेत्रों के ग्राम महका, गौरझामर, बिलेकी के किसानों ने बताया गोदाम प्रभारी द्वारा यूरिया खाद मनमाने भाव में खाद बेच किसानों का शोषण करते है। किसान मेहरबान लोधी नेतराज लोधी गौरझामर निवासी ने बताया गोदाम प्रभारी द्वारा 275 रु प्रति बोरी के हिसाब से रु लिए गए, जबकि मशीन का बिल मांगे जाने पर कोरे कागज पर बिल पर्ची बनाकर दी जा रही है जिसे खाद लेते समय वही ले लिया जाता है, किसान उदय ठाकुर ने आरोप लगाते हुए बताया कि जब पर्ची नहीं दो हमे क्या पता कितना खाद निकाला हमसे से अंगूठा लगवा लिया, हमारे पास क्या सबूत हैं हमने खाद खरीदा। वही एक किसान द्वारा बताया गया किसी को 275 रु बोरी तो किसी को 270 रु में बोरी बेची जा रही है जबकि हम्माली 5 रु बोरी किसान अलग से चुका रहा है। किसानों की माने तो शासकीय गोदाम में ऐसी लूट पहले नहीं हुई। पूरे मामले में कृषि विभाग के अधिकारी मौन है। वही इस संबंध में प्रभारी द्वारा हास्यास्पद जवाब दिया गया उनका कहना था कि गलती से ले लिए होगे किसान को वापस मांगना था।

*नहीं दी जाती पीओएस मशीन की पर्ची*

शासन द्वारा किसानों को भारी सब्सिडी पर खाद उपलब्ध कराया जाता है, किसानों की ऋण पुस्तिका देखकर किसानों के आधार कार्ड का सत्यापन कर खाद प्रदाय की प्रक्रिया है, लेकिन गौर करने वाली बात है किसानों से फिंगर लगाने के बाद खाद की मात्रा की पर्ची नहीं दी जा रही है, ऐसे में किसानों को कैसे पता चलेगा उसके नाम पर कितना खाद निकाला गया। प्रभारी द्वारा पर्ची ना देना कही ना कहीं भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है। जबकि शासन को भी बड़ी चपत लगाई जा रही है। किसानों की माने तो स्थानीय दुकानदारों को चोरी चुपके खाद दे दिया जाता है जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर अधिक दाम पर खाद बेचते हैं।

*निजी दुकानों पर धड़ल्ले से बेचा जाता है खाद*

किसानों ने आरोप लगाते हुए बताया कि गोदाम में खाद भले ही ना हो लेकिन व्यापारियों के यहां हर वक्त उपलब्ध रहता है, जो मनमाने दामों पर बेचते हैं
आखिर मजबूरी जो है। जानकारी अनुसार करीब 80 प्रतिशत खाद सरकारी गोदामों, समितियों को प्रदाय किया जाता है, लेकिन फिर भी खाद की कमी रहती है जबकि प्राइवेट दुकानों पर अधिक कीमत में हरदम उपलब्ध रहता है। जागरूक किसानों ने बताया प्रशासन द्वारा दुकानों की जांच नहीं की जाती है जिसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है। 


किसानों ने जिला खाद अधिकारी और जिला कलेक्टर से शासकीय गोदाम में मनमाने दामों पर खाद बेचे जाने एवं किस किसान ने कितना खाद लिया इसकी जांच कराने की मांग  एवं उचित कार्यवाही करने की मांग की है। 

इनका कहना 

पीओएस मशीन का बिल क्यों नही दिया जा रहा है और ज्यादा मूल्य पर किसानों को खाद क्यों वितरण किया जा रहा है। में जानकारी करवा रही हूं
 राखी रघुवंशी जिला विपणन अधिकारी सागर
संवाददाता। ललित चढ़ार पत्रकार गौरझामर 




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