जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पाप बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ। गौ पीठाधीश्वर पंडित विपिन बिहारी
गौरझामर
ग्राम सुजानपुर रहली रोड में चल रही साप्ताहिक श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन बुधवार को कथा व्यास सुरखी के गौ पीठाधीश्वर पंडित विपिन बिहारीदास सागर ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई। जिसे सुनकर सभी श्राेता भक्ति में लीन हो गए। जिसमें उन्होंने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं। उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की महानता पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पाप बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब धरा पर मथुरा के राजा कंस के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए। तब धरती की करुण पुकार सुनकर श्री हरि विष्णु ने देवकी माता के अष्टम पुत्र के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। गौ पीठाधीश्वर ने बताया त्रेता युग में लंकापति रावण के अत्याचारों से जब धरा डोलने लगी तब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने जन्म लिया, ऐसे तमाम प्रसंग श्रोताओं को सुनाएं, जिसे सुनकर उपस्थित श्रोता भक्ति भाव में तल्लीन हो गए। गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया। प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। कथा सुनने के लिए आस पास के लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है कथा यजमान इमरत लाल पटेल परिवार एवं सुजानपुर के ग्रामवासियों द्वारा कथा श्रोताओं से अनुरोध किया है कि श्रोता बंधु अधिक से अधिक संख्या में पधार कर कथा का पुण्य लाभ प्राप्त करे।
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