मौ| मौ नगर के सीएम राइज स्कूल में अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश की मांग ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों में संसाधनों और नीतियों की कमी को उजागर किया है। छात्रों की यह मांग न केवल उनकी शैक्षणिक आकांक्षाओं को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि सीएम राइज स्कूल योजना को अपने पूर्ण उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। शिक्षा विभाग को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा ताकि स्थानीय छात्रों को उनके अपने क्षेत्र में ही गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक शिक्षा प्राप्त हो सके। आपको बता दें कि भिण्ड जिले के मौ नगर में संचालित सीएम राइज स्कूल में अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश न मिलने से असंतुष्ट छात्रों ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद की है। आकांक्षी छात्रों ने स्कूल के प्राचार्य श्री एमएल वर्मा को एक ज्ञापन सौंपकर कक्षा 9वीं से 12वीं तक अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश की अनुमति देने की मांग की है। छात्रों का कहना है कि अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई के लिए उन्हें अन्य शहरों या निजी स्कूलों में जाना पड़ता है, जो उनके लिए आर्थिक और मानसिक रूप से बोझिल है।
छात्रों की मांग: अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश की सुविधा
छात्रों ने अपने ज्ञापन में कहा कि सीएम राइज स्कूल योजना के तहत संचालित यह स्कूल आधुनिक सुविधाओं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जाना जाता है। मध्य प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के समकक्ष लाना है, जिसमें अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई भी शामिल है। हालांकि, मौ नगर के सीएम राइज स्कूल में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश देने की व्यवस्था नहीं है। इसके चलते स्थानीय छात्रों को अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के लिए जिले से बाहर या निजी स्कूलों में जाना पड़ता है, जो उनके लिए एक बड़ी बाधा है।
छात्रों ने ज्ञापन में प्राचार्य से आग्रह किया कि वे स्थानीय छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश की अनुमति दें। उन्होंने तर्क दिया कि इससे न केवल उनकी शैक्षणिक आवश्यकताएं पूरी होंगी, बल्कि उन्हें दूर-दराज के स्कूलों में जाने की मजबूरी से भी निजात मिलेगी।
प्राचार्य का जवाब: निर्देश और शिक्षकों की कमी
इस मामले पर प्राचार्य एमएल वर्मा ने स्पष्ट किया कि स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश शुरू करने के लिए कोई आधिकारिक निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा, "हमारे पास न तो अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने वाले प्रशिक्षित शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता है और न ही इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग से कोई स्पष्ट आदेश मिला है।" प्राचार्य ने यह भी बताया कि वर्तमान में स्कूल में हिंदी माध्यम में ही पढ़ाई हो रही है, और अंग्रेजी माध्यम शुरू करने के लिए आवश्यक संसाधनों और नीतिगत निर्णय की आवश्यकता है।
सीएम राइज स्कूल योजना का उद्देश्य
मध्य प्रदेश सरकार की सीएम राइज स्कूल योजना का उद्देश्य सरकारी स्कूलों को विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस करना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इस योजना के तहत प्रदेश में 9,200 स्कूल खोले जाने की योजना है, जिनमें अंग्रेजी और हिंदी दोनों माध्यमों में पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रावधान है। कई सीएम राइज स्कूलों में स्मार्ट क्लास, डिजिटल लर्निंग, सुसज्जित प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और परिवहन जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। हालांकि, मौ नगर के इस स्कूल में अंग्रेजी माध्यम की सुविधा न होने से स्थानीय छात्रों में निराशा है।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
छात्रों के साथ-साथ स्थानीय अभिभावकों ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि सीएम राइज स्कूल में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई शुरू होने से न केवल स्थानीय छात्रों को लाभ होगा, बल्कि क्षेत्र में शिक्षा का स्तर भी ऊंचा होगा। एक अभिभावक, रमेश सिंह ने कहा, "हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, लेकिन निजी स्कूलों की फीस और दूर के स्कूलों तक जाने की मजबूरी हमें परेशान करती है। अगर सीएम राइज स्कूल में अंग्रेजी माध्यम शुरू हो, तो यह हमारे लिए बड़ी राहत होगी।"
आगे की राह
छात्रों के ज्ञापन और मांग के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अंग्रेजी माध्यम शुरू करने के लिए शिक्षकों की भर्ती, प्रशिक्षण और नीतिगत निर्णय आवश्यक हैं। मध्य प्रदेश में अन्य सीएम राइज स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई शुरू होने के उदाहरण मौजूद हैं, जैसे कि इंदौर और ग्वालियर के कुछ स्कूलों में। ऐसे में मौ नगर के छात्रों की मांग को पूरा करना शिक्षा विभाग के लिए एक चुनौती हो सकता है, लेकिन यह स्थानीय शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हो सकता है।
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