Datia| दतिया जिले की भांडेर तहसील में सहकारी मर्यादित बैंक में 7.30 लाख रुपये के घपले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। बेरच सोसाइटी के ग्रामीणों ने बैंक प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके चलते किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रहा है। इस मुद्दे ने स्थानीय किसानों में आक्रोश पैदा कर दिया है, जो पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
भांडेर तहसील का यह मामला न केवल सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि किसानों के प्रति प्रशासन की उदासीनता को भी उजागर करता है। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो इसका असर न केवल किसानों की आजीविका पर पड़ेगा, बल्कि क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर किसानों को उनका हक दिलाए।
किसानों का आरोप: 2018 का ओवरड्यू बहाना, रुपये पहले ही जमा
बेरच सोसाइटी के किसानों ने बताया कि जब वे खाद लेने बैंक पहुंचे, तो बैंक मैनेजर ने उन्हें खाद देने से इनकार कर दिया। मैनेजर का कहना था कि 2018 का खाद का भुगतान बकाया है, जिसे पहले जमा करना होगा। इस पर किसानों ने एक स्वर में कहा कि उन्होंने 2018 में ही सभी बकाया राशि जमा कर दी थी। किसानों का दावा है कि इस बात के गवाह समिति संस्था प्रभारी सतीश श्रीवास्तव हैं, जिन्होंने भुगतान की पुष्टि की थी।
बैंक मैनेजर का जवाब: जांच का आश्वासन
जब हमारे दतिया जिला संवाददाता प्रवीण श्रीवास्तव ने इस मामले की पड़ताल की, तो उन्होंने पहले किसानों और फिर संस्था प्रभारी से बातचीत की। इसके बाद बैंक मैनेजर से संपर्क किया गया। मैनेजर ने सफाई देते हुए कहा, "मैं हाल ही में यहां आया हूं। मैं इस मामले की जांच करवाऊंगा और सच्चाई सामने लाऊंगा।" हालांकि, किसानों को अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं मिला है।
पुराना मुद्दा, नया विवाद
यह मामला 2018 का बताया जा रहा है, लेकिन सात साल बाद भी इसका समाधान न होना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। किसानों का कहना है कि अगर समय पर खाद नहीं मिला, तो उनकी फसलों को भारी नुकसान होगा, जिसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? इस मामले ने स्थानीय प्रशासन और बैंक प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिवराज सिंह चौहान के दावों पर सवाल
केंद्र सरकार के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई मंचों से किसानों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है। उन्होंने दावा किया है कि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। लेकिन भांडेर तहसील का यह मामला उनके दावों पर सवाल उठा रहा है। किसानों का कहना है कि अगर केंद्र और राज्य सरकार उनके हित में काम कर रही है, तो इस तरह की समस्याएं क्यों बनी हुई हैं?
आगे क्या?
किसानों ने प्रशासन से इस मामले की गहन जांच और तत्काल समाधान की मांग की है। स्थानीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का फैसला किया है। अब देखना यह है कि क्या इस खबर के बाद प्रशासन और बैंक प्रबंधन कोई ठोस कदम उठाते हैं, या फिर किसानों को न्याय के लिए और इंतजार करना पड़ेगा।
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